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संयुक्त प्रांत पुलिस की खुफिया प्रणाली का केंद्र एक "विशेष शाखा" थी जो 1888 में इसकी स्थापना पर एक सहायक महानिरीक्षक के पद वाले पुलिस अधीक्षक के नियंत्रण में काम करती थी। यह विशुद्ध रूप से राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र करने के ब्यूरो के रूप मे सीधे सरकार से संवाद करती थी। आपराधिक मामलों से निपटने के लिए सन 1906 में एक ऐसे ही संगठन की जरूरत महसूस की गई और क्राइम ब्रांच, फिंगर प्रिंट ब्यूरो और क्रिमिनल ट्राइब ब्रांच बनाए गए और इन्हें एक अन्य पुलिस अधीक्षक के नियंत्रण में रखा गया। इन्हें विशिष्ट एवं समाचार पत्र शाखा से जोड़ दिया गया और वर्तमान का अपराध अन्वेषण विभाग बना।
आपराधिक अन्वेषण विभाग : - संगठन एक पुलिस उप महानिरीक्षक के नियंत्रण में कार्य करता था, जो रेलवे पुलिस प्रशासन के प्रभारी थे। सन 1918 में विभाग के प्रभारी पुलिस उप महानिरीक्षक से रेलवे पुलिस का कार्यभार ले लिया गया और 1921 में समाचार पत्र शाखा को सचिवालय से पुनः जोड़ दिया गया। 1958 में सीआईडी को दो हिस्सों - खुफिया विभाग और अन्वेषण विभाग - में बाँट दिया गया और अन्वेषण विभाग का नाम रखा गया अपराधिक अन्वेषण विभाग।
निम्नलिखित शाखाएँ सीआईडी के तहत कर दी गईं :
- अन्वेषण शाखा (अपराध शाखा)
- राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो
- फिंगर प्रिंट ब्यूरो
- वैज्ञानिक अनुभाग
उत्तर प्रदेश में 1962 से पहले एक शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था योजना थी और उसका मुख्य काम पुलिस अधीक्षक द्वारा राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना था। राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच करने के लिए 1977 में एक भ्रष्टाचार निरोधी इकाई की स्थापना की गई। इसे 1991 में सीआईडी के अधिकार क्षेत्र से निकाल कर एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित किया गया।
आपराधिक अन्वेषण विभाग के तहत आर्थिक खुफिया एवं अन्वेषण अनुभाग की स्थापना 1970 में की गई जिसका मुख्य काम सरकारी राजस्व की चोरी या नुकसान के मामलों को देखना है। 1991 में आर्थिक अपराध शाखा के मुखिया के तौर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद का सृजन किया गया।
सहकारिता क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार से संबन्धित मामलों से निपटने के लिए अन्वेषण विभाग के तहत विशेष अन्वेषण शाखा (सहकारिता) की स्थापना की गई। 1972 में ऐसी ही एक शाखा कृषि क्षेत्र के लिए स्थापित की गई। वर्तमान में विशेष अन्वेषण शाखा (सहकारिता) एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के नियंत्रण में कार्य कर रही है और विशेष अन्वेषण शाखा (कृषि) को 2003 में समाप्त कर दिया गया था।
वर्तमान में महानिदेशक, सीआईडी, उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक नियंत्रण में निम्नलिखित शाखाएँ हैं :
- अपराध शाखा
- विशेष अन्वेषण शाखा (सहकारिता)
- महिला सहायता प्रकोष्ठ
- मादक द्रव्य प्रकोष्ठ
संगठनात्मक ढांचा
लखनऊ में मुख्यालय के साथ सीआईडी की 10 फील्ड इकाइयां हैं जिनमें हर एक को ‘सैक्टर कार्यालय’ के रूप में नामित किया गया है। ये सैक्टर कार्यालय निम्नलिखित जगहों पर स्थित हैं :
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Tel NO: 0562-2363304 |
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Tel NO: 0532-2466374 |
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Tel NO: 0581-2427358 |
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Tel NO: 0551-2200263 |
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Tel NO: 0512-2534344 |
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Tel NO: 0522-2721424 |
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Tel NO: 0121-2556266 |
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Tel NO: 0542-2502854 |
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Tel NO: 0522-2321372 ( लखनऊ ) |
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Tel NO: 0522-2223318 ( लखनऊ ) |
प्रत्येक सेक्टर की अगुवाई अतिरिक्त एसपी स्तर का अधिकारी करता है। उसे पर्याप्त संख्या में उपाधीक्षक / निरीक्षक सहायता करते हैं जो जांच और अन्वेषण का कार्य करते हैं। हर एक सेक्टर कार्यालय की देखरेख एसपी स्तर का अधिकारी करता है जो महानिरीक्षक / उप महानिरीक्षक के जरिये महानिदेशक, सीआईडी को रिपोर्ट करता है। निम्नलिखित संगठनात्मक चार्ट एक चित्रमय तरीके से उत्तर प्रदेश के सीआईडी विभाग की संरचना का वर्णन करता है :

Figure 1
आमतौर पर अपराधों के मामले अन्वेषन के लिए सीआईडी के सुपुर्द किए जाते हैं :
- उच्च तकनीकी प्रकृति के मामले
- अपहरण के महत्वपूर्ण मामले व महिलाओं के खिलाफ अपराध
- कोई गंभीर अपराध जिसके दूरगामी परिणाम होने की आशंका हो
- एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज महत्वपूर्ण मामले
- पेशेवर जहर खुरानी
- नकली सिक्के और नोट का निर्माण
- फर्जी कंपनियों को बढ़ावा देना
- सरकारी शस्त्र और गोला बारूद की महत्वपूर्ण चोरी
संकट में महिलाओं के लिए परामर्श केंद्र : कोई भी पीड़ित महिला निम्नलिखित अधिकारी से संपर्क कर सकती है :
अतिरिक्त एसपी सीआईडी, टेलीफोन : (0522) 2223318, 2273593, 2282292