राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला
महानगर, लखनऊ
ईमेल : dirfsl@nic.in
संक्षिप्त इतिहास
उत्तर प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना से पूर्व अपराध साक्ष्य से संबन्धित मामलों का परीक्षण आपराधिक अन्वेषण विभाग (सीआईडी) यूपी के वैज्ञानिक अनुभाग द्वारा की जाती थी।
1967 में एक विस्तृत प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें पहले के सभी प्रस्तावों को संशोधित करते हुए राज्य में एक विधि विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करने की बात कही गई थी। अंततः 1969 में आपराधिक अन्वेषण विभाग के वैज्ञानिक अनुभाग को एक विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परिवर्तित करने का शासनादेश जारी किया गया।
यूपी पुलिस आयोग 1970-71, ने आगरा स्थित रसायन परीक्षण प्रयोगशाला का विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ के साथ विलय करने और आगरा, लखनऊ व वाराणसी में तीन पूर्णकालिक विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित करने की अनुशंसा की। वर्ष 1979 में आगरा की रसायन परीक्षण प्रयोगशाला का विलय विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ में करने और इन दोनों प्रयोगशालाओं को सभी आवश्यक आधुनिक उपकरणों के साथ पूर्ण विकसित करने का एक शासनादेश जारी किया गया। इसके अलावा वाराणसी में एक पूर्ण विकसित विधि विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया।
लखनऊ व आगरा की प्रयोगशालाओं के लिए निम्नलिखित सात अनुभाग स्वीकृत किए गए :
- भौतिकी अनुभाग
- प्रलेख अनुभाग
- आग्नेयास्त्र अनुभाग
- रसायन अनुभाग
- विष अनुभाग
- जीव विज्ञान अनुभाग
- सीरम विज्ञान अनुभाग
1986 में पहली बार विधि विज्ञान प्रयोगशाला के नियमित निदेशक के लिए यूपी लोक सेवा आयोग के जरिये नियुक्ति की गई। 1986 में ही अन्य पदों के लिए यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन निकाला गया। इस बीच प्राथमिक उपकरण के अलावा प्रयोगशाला के विभिन्न खंडों के लिए आवश्यक आधुनिक विश्लेषणात्मक उपकरण प्राप्त किए गए। दोनों प्रयोगशालाओं में प्रत्येक अनुभागो के लिए एक केन्द्रिय व्यवस्था की स्थापना की गई। पहली बार दोनों ही प्रयोगशालाओं में साक्ष्य के परीक्षण का काम 1 अप्रैल 1987 को शुरू हुआ।
विस्फोट हुये पदार्थ का परीक्षण का काम करने के लिए एक विस्फोटक अनुभाग भी मंजूर किया गया। इस अनुभाग ने आगरा में वर्ष 1987 में काम करना शुरू किया। इस अनुभाग से राज्य के सभी जिलों की जरूरतों को पूरा करने की उम्मीद की जाती है। वर्ष 1990 में लखनऊ की प्रयोगशाला में नवगठित विधि चिकित्सा (मेडिको लीगल), झूठ पकड़ना और उपकरण विश्लेषण अनुभाग व आगरा प्रयोगशाला के लिए उपकरण विश्लेषण और विस्फोटक अनुभाग में विभिन्न पदों के लिए सरकार ने मंजूरी दी।
फील्ड यूनिट
अपराध स्थल से सुराग की सामग्री एकत्र करना प्रयोगशाला में इनका परीक्षण करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। अधिकांश मामलों में प्रयोगशाला में दुबारा परीक्षण करना तो मुमकिन होता है, लेकिन अपराध स्थल एक बार बिगड़ जाये तो वहाँ से उपयुक्त भौतिक साक्ष्य हासिल कर पाना कभी संभव नहीं होता है। इसी के मद्देनजर, राज्य के हर जिले में विधि विज्ञान प्रयोगशाला की फील्ड इकाइयां स्थापित की गईं। इन फील्ड इकाइयों को जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक / पुलिस अधीक्षक के परिचालन नियंत्रण के अधीन रखा गया है। विवेचना अधिकारी की सहायता के लिए कई जिलों में वैज्ञानिक स्टाफ रखा गया है।
उद्देश्य :
- पुलिस, न्यायपालिका द्वारा इंगित अपराध संबंधी साक्ष्यों का परीक्षण करना।
- पुलिस कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और संबन्धित लोगों को अपराध विवेचना में विधि विज्ञान कि भूमिका और इसके प्रयोग की जानकारी देना।
- विवेचना अधिकारी को अपराध विवेचना में वैज्ञानिक सहायता प्रदान करना और उसे अपराध स्थल से वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करने, उसकी उचित पैकिंग, सील करने और परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजने में मदद करना।
- पुलिस व अन्य विधि विज्ञान संस्थानों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना।
- पुलिस, न्यायिक व अन्य संबन्धित संस्थानों में प्रशिक्षुओं को विधि विज्ञान पर व्याख्यान देना।
संगठनात्मक ढांचा
वर्तमान गतिविधियां
विश्लेषणात्मक आवश्यकताओं के अनुसार किसी मामले के साक्ष्यों को प्रयोगशालाओं के एक या अधिक खंडों में जांचा जाता है। विभिन्न खंडों में किस तरह की प्रकृति की जाँचें की जा सकती हैं वह इस प्रकार हैं :
भौतिकी अनुभाग :
- घटना स्थल एवं संदिग्ध से प्राप्त जूते/टायर के निशान एवं पदचिह्न का तुलनात्मक अध्ययन।
- मिटाए गए/छिपे हुए वाहन पहचान संख्या-वीआईएन (चेसिस/इंजन नंबर) और फायर आर्म्स की पहचान संख्या (संख्या/निर्माण) का परीक्षण और पुर्नस्थापना।
- निर्माण सामग्री जैसे सीमेन्ट आदि की तुलनात्मक परीक्षण, मोर्टार और कंक्रीट का परीक्षण।
- टूल उपकरण/डाई के निशान और धातु का परीक्षण।
- हिट एंड रन दुर्घटना आदि मामलों में पेंट/पेंट चिप्स, कांच, मिट्टी का भौतिक परीक्षण ।
- कॉपी राइट एक्ट के मामलो में रैपर, लेबल, नकली उत्पाद का परीक्षण।
- हथियार के स्रोत के सापेक्ष कपड़ों पर कट के निशान का परीक्षण ।
- घटना स्थल और संदिग्ध से प्राप्त बिजली के तार (ट्रांसमिशन लाइन) का परीक्षण एवं कटे सिरों का मिलान।
- दुर्घटनावश टूटी हुई वस्तु का भौतिक मिलान/भौतिकीय फिटनेस (कन्टूर मैचिंग)।
- भौतिक मिलान वस्तु जैसे- राख, कांच का फ्रैक्चर, चूड़ियाँ, शर्ट-बटन, कपड़ा मिलान, प्लास्टिक, सील मिलान, कागज, फाइबर, धागा / डोरियाँ, रस्सियाँ आदि।
दस्तावेज़ अनुभाग : प्रामाणिकता या जाल-साजी को सिद्ध करने के लिए ज्ञात मानकों पर सवालिया लेखन, टाइपराइटिंग, मुद्रित सामाग्री, हस्ताक्षर की तुलना; मिटाने, परिवर्तन, बदलाव, गुप्त लेखन के लिए दस्तावेजों का परीक्षण; गोपनीय बीजलेख वाचन; लेखन / कागज की परस्पर उम्र प्रमाणित करना; जले हुये दस्तावेजों का परीक्षण आदि।
आग्नेयास्त्र अनुभाग : आग्नेयास्त्रों की सक्षमता पता लगाने के लिए उनका परीक्षण। चलायी गई गोलियों, कारतूसों, छर्रों से पता करना कि क्या वह आग्नेयास्त्र शस्त्र कानून के अधीन आता है, वह कैसा और किस प्रकार का आग्नेयास्त्र है। पता करना कि क्या दो या अधिक कारतूस / कारतूसके खोल एक ही या अलग –अलग आग्नेयास्त्र से दागे गए हैं, किसी खास आग्नेयास्त्र से कारतूस/कारतूस के खोल का संबंध स्थापित करना, आग्नेयास्त्र का प्रकार स्थापित करने के मद्देनजर पोस्टमार्टम रिपोर्ट / जख्म रिपोर्ट / एक्स रे प्लेट / कपड़े का परीक्षण करना, गोलीबारी का साक्ष्य पता करने के लिए आग्नेयास्त्र का परीक्षण, दुर्घटनावश गोली चलने की संभावना पा पता करने के लिये आग्नेयास्त्र का परीक्षण, गोलीबारी कितनी दूर से हुयी इसका आकलन, गोलीबारी से हुये अवशिष्ठ का पता करके गोली चलाने वाले या कारतूस से हुये छेद की पहचान, गोलीबारी के स्थल के पुनर्निर्माण के लिए सामान्य परीक्षण आदि। आग्नेयास्त्रों से दागे गए गोलाबारुद के अवशेषों की परीक्षण, कपडे/त्वचा/खिड़की के शीशे/कपड़े पर छेद, संभावित दूरी आदि। हत्या के हमले के मामलों में गोलीबारी का समय और दूरी। अपराध स्थल के पुर्ननिर्माण की सहायता से वास्तविक या नकली दृश्य, आत्मघाती या मानवघात(हत्या) या आकस्मिक का निर्धारण ।
रसायनशास्त्र अनुभाग : फोरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय के अंतर्गत फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएँ उत्तर प्रदेश बहु-विषयक प्रयोगशालाएँ हैं, जिनमें रसायन विज्ञान विभाग केवल रासायनिक विश्लेषण के लिए नमूने प्राप्त करता है। एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ), आगजनी के मामलों और शराब के मामलों में त्वरक के अवशेषों का रासायनिक विश्लेषण करने की सुविधाएं। ट्रैप/रिश्वत मामलों और अन्य विविध मामलों का परीक्षण भी इस प्रभाग में की जाती है। रसायन विज्ञान प्रभाग की विशेषज्ञता का विवरण नीचे दिया गया है-
- अफ़ीम/कच्ची अफ़ीम, मॉर्फ़ीन/अफ़ीम एल्कलॉइड और इसके डेरिवेटिव जैसे हेरोइन का परीक्षण।
- कैनबिस नमूनों और उसके डेरिवेटिव का परीक्षण।
- मेथाक्वालोन, एम्फेटामाइन का परीक्षण।
- अल्प्राजोलम, डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइन का परीक्षण।
- शराब के नमूनों में अल्कोहल की मात्रा (एथिल अल्कोहल) और मिलावट का निर्धारण।
- आगजनी के मामले में ज्वलनशील पदार्थ और उनके अवशेषों का पता लगाना और उसका पुनर्निर्माण तथा आगजनी स्थलों का मूल्यांकन करना।
- जाल(ट्रैप) मामलों में प्रयुक्त रंगों और अन्य रसायनों का पता लगाना।
- पेट्रोलियम उत्पादों एवं मिलावट की पहचान।
- एसिड फेंकने के मामलों में संक्षारक रसायनों का परीक्षण।
विषविज्ञान अनुभाग: : वनस्पति मूल के विष (धतूरा, कनेर, अफीम, मदार एकोनाइट, नक्स वोमिका आदि), अजैविक लवण (संखिया,कॉपर सल्फेट, साइनाइड आदि), तेजाब, औषधियाँ, क्षार तत्व, कीटनाशक (डीडीटी, बीएचसी पैराथीआन, मैलाथीआन, अल्ड्रिन, ज़िंक फॉस्फेट, एल्युमिनियम फॉस्फाइड आदि), एल्कोहल (मिथाइल व ईथाइल अल्कोहल आदि) तथा शीशे के पाउडर समेत अन्य सभी प्रकार के विष का परीक्षण के लिए विसरा, पेट के द्रव, उल्टी, मूत्र व रक्त का परीक्षण।
जीव विज्ञान अनुभाग :
- जैविक तरल पदार्थों का परीक्षण - वीर्य, लार, पसीना, मल-मूत्र आदि।
- बाल, ऊन और रेशों का रूपात्मक परीक्षण।
- कागज के गूदे का परीक्षण।
- पौधों के भागों जैसे बीज, पत्ती के टुकड़े, फूल, परागकण, लकड़ी, छाल, टहनियाँ आदि की पहचान।
- पहचान के लिए कंकाल के अवशेषों, हड्डियों, दांतों आदि की रूपात्मक परीक्षण।
- मानव/पशु मूल के ऊतकों की पहचान।
- डायटम और अन्य सूक्ष्म जीव, फफूंद, शैवाल कवक आदि की पहचान।
सीरम विज्ञान अनुभाग : रक्त की पहचान हेतु रसायनिक, माइक्रोस्कोपिक और स्पेक्ट्रोस्कोपिक परीक्षण, रक्त के धब्बों की पहचान व ग्रुपिंग के लिए इनकी सीरम वैज्ञानी परीक्षण, रक्त का मूल निर्धारण, रक्त का वर्ग निर्धारण, रक्त का मिलान(केवल ग्रुपिंग से)।
विस्फोटक अनुभाग : विस्फोटक पदार्थों का परीक्षण और विस्फोट के उपरांत विस्फोटक यंत्र के अवशेषों का परीक्षण तथा विस्फोट स्थल का परीक्षण।
लाई- डिटेक्शन अनुभाग : संदिग्ध अपराधियों और गवाहों से पूछताछ।
डी.एन.ए. अनुभाग : डीएनए फिंगर प्रिंटिंग पितृत्व विवाद, हत्या, बलात्कार, अन्य आपराधिक मामलों में अपराधियों के व्यक्तिगतकरण और शरीर के अंग से व्यक्ति की पहचान करने की नवीनतम तकनीक है।
कंप्यूटर फोरेंसिक अनुभाग: मोबाइल फोन, डाटा संग्रहण उपकरणों, सीसीटीवी फुटेज विश्लेषण से फोरेंसिक डेटा निष्कर्षण।
फोरेन्सिक एकॉस्टिक अनुभाग: इस अनुभाग में, स्पीकर की पहचान और ऑडियो की प्रामाणिकता परीक्षण के लिए ऑडीटरी विश्लेषण एवं स्पेक्ट्रोग्राफिक विश्लेषण विधि द्वारा फोरेंसिक ऑडियो विश्लेषण द्वारा किया जाता है।
पुस्तकालय व संग्रहालय
लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में एक पुस्तकालय स्थापित है। इस पुस्तकालय में 3039 से अधिक वैज्ञानिक पुस्तकें उपलब्ध हैं।
विदेशी पत्र-पत्रिकाएँ
क्रम संख्या | पत्रिका का नाम |
1. |
फोरेंसिक साइंस इंटेरनेशनल |
2. |
जर्नल ऑफ फोरेंसिक साइंस |
3. |
मेडिसिन साइंस लॉं |
4. |
द पुलिस जर्नल |
5. |
जर्नल ऑफ अनालिटिकल टॉक्सिकोलोजी |
6. |
आस्ट्रेलियन जर्नल ऑफ फोरेंसिक साइंस |
7. |
साइंस एंड जस्टिस |
8. |
जर्नल ऑफ कनाडियन सोसाइटी |
9. |
मेडिकों-लीगल जर्नल |
10. |
साइंटिफिक अमेरिकन |
भारतीय पत्र-पत्रिकाएँ
क्रम संख्या | पत्रिका का नाम |
1. |
इंडियन अकादमी ऑफ फोरेंसिक साइंस |
2. |
इंडियन जर्नल ऑफ क्रिमिनोलोजी |
विधि विज्ञान संग्रहालय
विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ में एक पूर्ण-सुसज्जित संग्रहालय स्थापित किया गया है।
अन्य संस्थानों के कर्मियों को व्याख्यान / प्रशिक्षण
विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल), उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिक विभिन्न संगठनों के प्रशिक्षुओं को व्याख्यान देते हैं। उदाहरण के लिए; नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलोजी एंड फोरेंसिक साइंसेज, एम.एच.ए. (एनआईसीएफएस), जुड़ीशियल ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, यूपी (जेटीआरआई), पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (पीटीसी) क्राइम ब्रांच सीआईडी, यूपी, राष्ट्रीयकृत बैंक, डाइरेक्ट टैक्स रीज़नल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, नेशनल अकादमी ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेस, पंजाबी युनिवर्सिटी पटियाला, ट्रेड टैक्स आफिसर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, लखनऊ। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलोजी एंड फोरेंसिक साइंस, भारत सरकार के प्रशिक्षु तथा सागर विश्वविद्यालय व अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के एमएससी के छात्र व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर एफएसएल, उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध किए जाते हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, जुड़ीशियल ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, आरपीएफ अकादमी, पुलिस ट्रेनिंग कालेज, जैसे अन्य विभिन्न संगठनों से प्रशिक्षु व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला का दौरा करते हैं। प्रयोगशाला के वरिष्ठ वैज्ञानिक विभिन्न विश्वविद्यालयों के अलग-अलग पाठ्यक्रमों के लिए बाह्य परीक्षक / पेपर सेटर के रूप में भी कार्य करते हैं।