Your browser does not support JavaScript उत्तर प्रदेश पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट | दूरसंचार

दूरसंचार

उत्तर प्रदेश पुलिस दूरसंचार मुख्यालय

महानगर, लखनऊ

पुलिस महानिदेशक (दूरसंचार) की अध्यक्षता में

फैक्स: 0522-2335346, फ़ोन: 0522-2333983, 2335771

ईमेल: radiohq@nic.in

इकाई का संक्षिप्त इतिहास :-

1938 में कुम्भ मेले के दौरान हाथियों पर बेतार सेट लगाए गए।
 
1938 में संयुक्त प्रांत (यूपी) बेतार तकनीक इस्तेमाल करने वाला भारत का पहला राज्य बना। 1938 में हरिद्वार के कुम्भ मेले में बेतार रेडियो संचार के लिए हाथियों पर तीन सचल बेतार सेट लगाए गए। ये सचल रेडियो मेला नियंत्रण कक्ष से जुड़े हुये थे।
1941 में पहली बार जिला सीतापुर, लखनऊ और गोरखपुर में यूपी पुलिस के लिए तीन अचल एचएफ रेडियो स्टेशन स्थापित किए गए। यह भारत में पुलिस संचार का पहला नेटवर्क था।
   
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था कि स्थिति विस्फोटक और अस्थिर हो गई। इसे नियंत्रित करने के लिए आनन-फानन में अचल रेडियो स्टेशन इलाहाबाद, कानपुर और वाराणसी जिलों में स्थापित किए गए। इनके अलावा एक सचल रेडियो स्टेशन आपात स्थिति में बलिया जिले में स्थापित किया गया। बहरहाल, यूपी पुलिस रेडियो संगठन ‘पुलिस बेतार दूरसंचार सेवा’ नाम के साथ औपचारिक रूप से वर्ष 1943 में अस्तित्व में आया। यह इंपीरियल पुलिस के एक एस.पी. श्री ई.डब्लू. हंट के पर्यवेक्षण में था और इसका मुख्यालय सीतापुर जिले में था।
   
श्री ई.डब्लू. हंट पुलिस रेडियो में केन्द्रीय कार्यशाला का दौरा करते हुये।
पुलिस रेडियो / बेतार मुख्यालय वर्ष 1948 में सीतापुर से लखनऊ स्थानांतरित किया गया। इसके पश्चात यूपी पुलिस के लिए राज्यव्यापी रेडियो / बेतार नेटवर्क की स्थापना हुयी। बड़ी संख्या में बेतार उपकरण द्वितीय विश्व युद्ध की फालतू सामग्री से जोड़-तोड़ कर स्वदेश में बनाए गए थे।
एच एफ रेडियो के प्रयोग से बेतार टेलीग्राफ़ी के जरिये लखनऊ स्थित राज्य मुख्यालय से सभी जिला मुख्यालय जोड़े गए।
   
वर्ष 1950 के बाद पुलिस द्वारा बेतार सेट का इस्तेमाल एक सामान्य सी बात हो गई। चंबल के बीहड़ों और आगरा से सटे जिलों में दस्यु विरोधी कार्रवाई के लिए एक विशेष नेटवर्क स्थापित किया गया। इन अभियानों के दौरान विश्वसनीय बेतार सम्प्रेषण के परिणामस्वरूप कई दुर्दांत डाकुओं के गिरोहों का सफाया हो सका।
पुलिसकर्मी आर/टी बैक पैक रेडियो सेट द्वारा बात करता हुआ।
   
श्री ई.डब्लू. हंट
 
श्री सी.पी. जोशी, पुलिस उपमहानिरीक्षक / राज्य रेडियो अधिकारी के नेतृत्व में 1951 में भारत-तिब्बत सीमा पर तीन बेतार स्टेशन स्थापित किए गए। बाद में पीएसी (तब इसे विशेष पुलिस बल कहा जाता था) की बटालियनें इस सीमा पर तैनात की गईं।
 
 
 
अलग – अलग तरंगों पर प्रोग्राम किए हुए तीन एचएफ बेतार स्टेशन जोशीमठ, उत्तरकाशी और असकोट के ऊंचाई वाले सेक्टर मुख्यालयों में स्थापित किए गए। ये सेक्टर मुख्यालय मुरादाबाद स्थित बटालियन मुख्यालय और लखनऊ स्थित राज्य मुख्यालय से जुड़े हुये थे। यूपी पुलिस ने हिमालय के गहरी भीतरी क्षेत्र में 16000 फुट की ऊंचाई पर रत्ताकोना में भी एक बेतार स्टेशन स्थापित किया। यह विश्व का सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित बेतार स्टेशन था।
श्री सी.पी. जोशी
   
वर्ष 1958 में उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डाक्टर सम्पूर्णानन्द ने महानगर, लखनऊ में यूपी पुलिस रेडियो मुख्यालय की नीव रखी और इसका उद्घाटन 1963 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया। जहां तक उत्तर प्रदेश पुलिस की इमारतों का सवाल है, यह इमारत इसकी स्थापत्य कला का एक नमूना है।
उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय, महानगर, लखनऊ।
   
माननीय राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह रेडियो मुख्यालय के सिग्नल सेंटर में।
भारत के प्रथम माननीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस मुख्यालय में उन्नत संचार केंद्र और इलेक्ट्रानिक्स अन्वेषण इकाई का भी उद्घाटन किया। माननीय राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह उन गणमान्य शख़्सियतों में से हैं जिन्होंने इस मुख्यालय का दुयारा किया है।
   
साठ के दशक में शहर की पुलिस व्यवस्था के लिए भी बेतार तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया गया। सभी बड़े शहरों में शहर नियंत्रण कक्षों को बेतार लगे गश्ती वाहन दिये गए। समस्त पुलिस थानों और महत्वपूर्ण चौकियों को भी बेतार टेलीफोन के जरिये पुलिस नियंत्रण कक्षों से जोड़ दिये गए। सत्तर के दशक (1975-76) में सभी ग्रामीण पुलिस थानों और जिला नियंत्रण कक्षों को वीएचएफ रेडियो टेलीफोन सेट उपलब्ध करा कर दस्यु विरोधी अभियान को मजबूती प्रदान की गई। इस प्रकार, पहली बार कोई पुलिस उपाधीक्षक जिले के किसी भी ग्रामीण या शहरी पुलिस थाने से सीधे बात कर सकता था।
1975-76 में रेडियो टेलीफोन का समावेश और नियंत्रण कक्ष की स्थापना।
 1987 के दौरान राज्य में रेंज रिपीटर सिस्टम शुरू किया गया। इन रेंज रेपीटरों की मदद से एक रेंज डीआईजी अपनी रेंज के किसी एसपी से बेतार सेट पर बात करने में सक्षम हुआ। राज्य मुख्यालय रेडियो टेलीफोन द्वारा इलाहाबाद, फ़ैज़ाबाद और अयोध्या जिलों से सीधे जुड़ गया।
 
एंटीना खड़ा करने के लिए लोहे के 80 से 90 फुट तिकोने जालीदार खंभे को हाथों से स्थापित किया जाना
1988 में टिहरी गढ़वाल जिले में (अब उत्तराखण्ड में) विख्यात ‘सुरकंडा देवी’ शिखर पर 10 हजार फुट की ऊंचाई पर एक रिपीटर स्टेशन स्थापित करने का सफल परीक्षण किया गया। इस रिपीटर स्टेशन की स्थापना से इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश पुलिस दूरसंचार में एक क्रांति आ गई। इस रिपीटर स्टेशन ने मेरठ और बरेली परिक्षेत्र के जिलों में वीएचएफ रेडियो टेलीफोन संचार का दायरा बढ़ा दिया।
   
1986-1996 के दशक के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो ने अपनी पहली औटोमैक्स प्रणाली की स्थापना के साथ कम्प्यूटरीकृत संचार के क्षेत्र में प्रवेश किया। इस प्रणाली की मदद से जिला मुख्यालयों में लगे टेली प्रिंटर्स स्वचालित तरीके से एक दूसरे से जुड़ गए।
दिसंबर 1996 में संगठन ने अपने पहले सुपर औटोमैक्स सिस्टम को शुरू किया। औटोमैक्स और सुपर औटोमैक्स सिस्टम राज्य के सभी जिलों में स्वचालित संदेश आदान-प्रदान उपलब्ध कराने के लिए आपस में जोड़ दिये गए। वर्तमान में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क ने पहले वाली लाइन संचार प्रणाली का स्थान ले लिया है।
आटोमैटिक मेसेज स्वीचिंग सिस्टम (औटोमैक्स) वर्ष 1986 में शुरू हुआ।
   

संगठनात्मक ढांचा:-

[PDF] 14.2 KB   |  Language : English

 

 

वर्तमान गतिविधियाँ :-
 
  • रेडियो टेलीफोन सम्प्रेषण में पुराने पारंपरिक सेट के स्थान पर 4थी पीढ़ी के माइक्रोप्रोसेसर आधारित रेडियो सेट लगाए गए। अब इन फोन का इस्तेमाल करने वाले के पास कॉलर आईडेन्टीफिकेशन जैसी सुविधा, ग्रिड जाम होने से छुटकारा और ग्रिड अनुशासन बनाए रखने जैसी अन्य सुविधाएं हैं। इसमें चुनिन्दा कॉल करने की भी सुविधा है जिसमें एक समूह या सिर्फ दो लोगों के मध्य बातचीत को सीमित रखा जा सकता है।
 
  • बेतार का तार ही मात्र दस्तावेजी संचार है और रेडियो टेलीफोन ने वाणी संचार में नया आयाम जोड़ा है। अन तो तकनीक ने दृश्य का तीसरा आयाम जोड़ दिया है जिससे क्लोज़ सर्किट टेलीविज़न (सीसीटीवी) के जरिये वीडियो सम्प्रेषण हो सकता है।
 
  • क्लोज्ड सर्किट टेलीविज़न का व्यापक इस्तेमाल काशी, मथुरा, अयोध्या क्षेत्र/परिक्षेत्र और अन्य जिलों के धर्मस्थलों की सुरक्षा के लिए किया गया है। इसका इस्तेमाल राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) और सुरक्षा शाखा व जिला पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था की ड्यूटी और सर्विलान्स के लिए भी किया गया है।
    क्लोज्ड सर्किट टेलीविज़न निगरानी केंद्र
    • वीएचएफ रिपीटर का प्रयोग वाणी सम्प्रेषण के लिए जिला मुख्यालयों को उनके रेंज मुख्यालयों से जोड़ने के काम के लिए किया जा रहा है।
     
      • बेतार आधारित सार्वजनिक सम्बोधन प्रणाली का वृहद इस्तेमाल जिला पुलिस द्वारा भीड़ नियंत्रण और विधि-व्यवस्था स्थितियों को बरकरार रखने के लिये किया जा रहा है।
       
      • उत्तर प्रदेश पुलिस ने राष्ट्रीय पुलिस उपग्रह तंत्र ‘पोलनेट’ के जरिये उपग्रह संचार को नियोजित ढंग से लागू करके नवीनतम तकनीक के क्षेत्र में प्रवेश किया है। अभी उत्तर प्रदेश के 56 जिलों में पोलनेट वी-सैट है। पोलनेट तंत्र न सिर्फ वाणी सम्प्रेषण का एक माध्यम है बल्कि यह कम्प्यूटरों का आपस में संपर्क, डेटा सम्प्रेषण और फैक्स भी उपलब्ध कराता है। यह उपग्रह संपर्क वाणी, डेटा और फैक्स के लिए अंतर-जिला और अंतर-राज्यीय संपर्क प्रदान कर रहा है।

      यूपी पुलिस रेडियो मुख्यालय, लखनऊ में पोलनेट वी सैट ।
      • कानपुर, लखनऊ, गाजियाबाद और इलाहाबाद जिलों में जीपीएस/जीआईएस आधारित अत्याधुनिक मॉडर्न कंट्रोल रूम स्थापित किए जा रहे हैं। पुलिस कारवाई का प्रतिक्रिया समय घटाने के लिए इन जिलों की गश्ती इकाईयों (चार पहिया, दुपहिया और पर्यवेक्षण अधिकारी) को मोबाइल डेटा टर्मिनल्स (एमडीटी) प्रदान किए जा रहे हैं।
       
      जीपीएस/जीआईएस आधारित मॉडर्न कंट्रोल रूम
      • फील्ड फ्रिक्वेन्सी प्रोग्रामिंग इकाई, रेडियो सम्प्रेषण परीक्षण सेट, सोल्डरिंग/डी-सोल्डरिंग स्टेशन जैसे कार्यशाला के आधुनिक उपकरणों को लगा कर रेडियो कार्यशालाओं को उन्नत किया गया है।
      Radio Headquarters :: VHF Radio Work Shop
      WPL
      Women And Child Security Organisation
      Control Room

      Control Room
      Cyber Crime

      Cyber Crime

      Fire Brigade

      101

      Fire Brigade

      Ambulance

      108

      Ambulance

      Child Helpline

      1098

      Child Hepline