1938 में कुम्भ मेले के दौरान हाथियों पर बेतार सेट लगाए गए।
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1938 में संयुक्त प्रांत (यूपी) बेतार तकनीक इस्तेमाल करने वाला भारत का पहला राज्य बना। 1938 में हरिद्वार के कुम्भ मेले में बेतार रेडियो संचार के लिए हाथियों पर तीन सचल बेतार सेट लगाए गए। ये सचल रेडियो मेला नियंत्रण कक्ष से जुड़े हुये थे।
1941 में पहली बार जिला सीतापुर, लखनऊ और गोरखपुर में यूपी पुलिस के लिए तीन अचल एचएफ रेडियो स्टेशन स्थापित किए गए। यह भारत में पुलिस संचार का पहला नेटवर्क था।
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1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था कि स्थिति विस्फोटक और अस्थिर हो गई। इसे नियंत्रित करने के लिए आनन-फानन में अचल रेडियो स्टेशन इलाहाबाद, कानपुर और वाराणसी जिलों में स्थापित किए गए। इनके अलावा एक सचल रेडियो स्टेशन आपात स्थिति में बलिया जिले में स्थापित किया गया। बहरहाल, यूपी पुलिस रेडियो संगठन ‘पुलिस बेतार दूरसंचार सेवा’ नाम के साथ औपचारिक रूप से वर्ष 1943 में अस्तित्व में आया। यह इंपीरियल पुलिस के एक एस.पी. श्री ई.डब्लू. हंट के पर्यवेक्षण में था और इसका मुख्यालय सीतापुर जिले में था।
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श्री ई.डब्लू. हंट पुलिस रेडियो में केन्द्रीय कार्यशाला का दौरा करते हुये।
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पुलिस रेडियो / बेतार मुख्यालय वर्ष 1948 में सीतापुर से लखनऊ स्थानांतरित किया गया। इसके पश्चात यूपी पुलिस के लिए राज्यव्यापी रेडियो / बेतार नेटवर्क की स्थापना हुयी। बड़ी संख्या में बेतार उपकरण द्वितीय विश्व युद्ध की फालतू सामग्री से जोड़-तोड़ कर स्वदेश में बनाए गए थे।
एच एफ रेडियो के प्रयोग से बेतार टेलीग्राफ़ी के जरिये लखनऊ स्थित राज्य मुख्यालय से सभी जिला मुख्यालय जोड़े गए।
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वर्ष 1950 के बाद पुलिस द्वारा बेतार सेट का इस्तेमाल एक सामान्य सी बात हो गई। चंबल के बीहड़ों और आगरा से सटे जिलों में दस्यु विरोधी कार्रवाई के लिए एक विशेष नेटवर्क स्थापित किया गया। इन अभियानों के दौरान विश्वसनीय बेतार सम्प्रेषण के परिणामस्वरूप कई दुर्दांत डाकुओं के गिरोहों का सफाया हो सका।
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पुलिसकर्मी आर/टी बैक पैक रेडियो सेट द्वारा बात करता हुआ।
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श्री ई.डब्लू. हंट
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श्री सी.पी. जोशी, पुलिस उपमहानिरीक्षक / राज्य रेडियो अधिकारी के नेतृत्व में 1951 में भारत-तिब्बत सीमा पर तीन बेतार स्टेशन स्थापित किए गए। बाद में पीएसी (तब इसे विशेष पुलिस बल कहा जाता था) की बटालियनें इस सीमा पर तैनात की गईं।
अलग – अलग तरंगों पर प्रोग्राम किए हुए तीन एचएफ बेतार स्टेशन जोशीमठ, उत्तरकाशी और असकोट के ऊंचाई वाले सेक्टर मुख्यालयों में स्थापित किए गए। ये सेक्टर मुख्यालय मुरादाबाद स्थित बटालियन मुख्यालय और लखनऊ स्थित राज्य मुख्यालय से जुड़े हुये थे। यूपी पुलिस ने हिमालय के गहरी भीतरी क्षेत्र में 16000 फुट की ऊंचाई पर रत्ताकोना में भी एक बेतार स्टेशन स्थापित किया। यह विश्व का सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित बेतार स्टेशन था।
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श्री सी.पी. जोशी
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वर्ष 1958 में उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डाक्टर सम्पूर्णानन्द ने महानगर, लखनऊ में यूपी पुलिस रेडियो मुख्यालय की नीव रखी और इसका उद्घाटन 1963 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया। जहां तक उत्तर प्रदेश पुलिस की इमारतों का सवाल है, यह इमारत इसकी स्थापत्य कला का एक नमूना है।
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उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय, महानगर, लखनऊ।
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माननीय राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह रेडियो मुख्यालय के सिग्नल सेंटर में।
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भारत के प्रथम माननीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस मुख्यालय में उन्नत संचार केंद्र और इलेक्ट्रानिक्स अन्वेषण इकाई का भी उद्घाटन किया। माननीय राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह उन गणमान्य शख़्सियतों में से हैं जिन्होंने इस मुख्यालय का दुयारा किया है।
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साठ के दशक में शहर की पुलिस व्यवस्था के लिए भी बेतार तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया गया। सभी बड़े शहरों में शहर नियंत्रण कक्षों को बेतार लगे गश्ती वाहन दिये गए। समस्त पुलिस थानों और महत्वपूर्ण चौकियों को भी बेतार टेलीफोन के जरिये पुलिस नियंत्रण कक्षों से जोड़ दिये गए। सत्तर के दशक (1975-76) में सभी ग्रामीण पुलिस थानों और जिला नियंत्रण कक्षों को वीएचएफ रेडियो टेलीफोन सेट उपलब्ध करा कर दस्यु विरोधी अभियान को मजबूती प्रदान की गई। इस प्रकार, पहली बार कोई पुलिस उपाधीक्षक जिले के किसी भी ग्रामीण या शहरी पुलिस थाने से सीधे बात कर सकता था।
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1975-76 में रेडियो टेलीफोन का समावेश और नियंत्रण कक्ष की स्थापना।
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1987 के दौरान राज्य में रेंज रिपीटर सिस्टम शुरू किया गया। इन रेंज रेपीटरों की मदद से एक रेंज डीआईजी अपनी रेंज के किसी एसपी से बेतार सेट पर बात करने में सक्षम हुआ। राज्य मुख्यालय रेडियो टेलीफोन द्वारा इलाहाबाद, फ़ैज़ाबाद और अयोध्या जिलों से सीधे जुड़ गया।
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एंटीना खड़ा करने के लिए लोहे के 80 से 90 फुट तिकोने जालीदार खंभे को हाथों से स्थापित किया जाना
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1988 में टिहरी गढ़वाल जिले में (अब उत्तराखण्ड में) विख्यात ‘सुरकंडा देवी’ शिखर पर 10 हजार फुट की ऊंचाई पर एक रिपीटर स्टेशन स्थापित करने का सफल परीक्षण किया गया। इस रिपीटर स्टेशन की स्थापना से इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश पुलिस दूरसंचार में एक क्रांति आ गई। इस रिपीटर स्टेशन ने मेरठ और बरेली परिक्षेत्र के जिलों में वीएचएफ रेडियो टेलीफोन संचार का दायरा बढ़ा दिया।
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1986-1996 के दशक के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो ने अपनी पहली औटोमैक्स प्रणाली की स्थापना के साथ कम्प्यूटरीकृत संचार के क्षेत्र में प्रवेश किया। इस प्रणाली की मदद से जिला मुख्यालयों में लगे टेली प्रिंटर्स स्वचालित तरीके से एक दूसरे से जुड़ गए।
दिसंबर 1996 में संगठन ने अपने पहले सुपर औटोमैक्स सिस्टम को शुरू किया। औटोमैक्स और सुपर औटोमैक्स सिस्टम राज्य के सभी जिलों में स्वचालित संदेश आदान-प्रदान उपलब्ध कराने के लिए आपस में जोड़ दिये गए। वर्तमान में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क ने पहले वाली लाइन संचार प्रणाली का स्थान ले लिया है।
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आटोमैटिक मेसेज स्वीचिंग सिस्टम (औटोमैक्स) वर्ष 1986 में शुरू हुआ।
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