फिंगर प्रिंट ब्यूरो
महानगर, लखनऊ।
फ़ोन : (0522)2371232, फैक्स : (0522)2371232
अपराध विवेचना में उंगली के निशान दो तरह से पहचान में इस्तेमाल किए जाते हैं – व्यक्तिगत शिनाख्त और इत्तेफाकन छाप शिनाख्त। व्यक्तिगत शिनाख्त में हिरासत में रखे व्यक्ति की वास्तविक शिनाख्त स्थापित करना शामिल है। उंगली के निशान का सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक उपयोग अपराध स्थल से उठाए गए उंगली के निशान का अपराध करने वाले अपराधी से संबंध स्थापित करना होता है और इसे ‘इत्तेफाकान निशान’ शिनाख्त कहा जाता है।
इस उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए फिंगर प्रिंट ब्यूरो में दोष सिद्ध व्यक्तियों के उंगली के निशान अपराधों के अलग अलग वर्गों के तहत रखे जाते हैं। ये रिकार्ड दो वर्गों में रखे जाते हैं – व्यक्तिगत शिनाख्त के लिए वर्गीकरण की हेनरी प्रणाली के तहत दस उंगली निशान रिकार्ड। दूसरा – अपराध स्थल से लिए गए उंगली के निशान के लिए एकल उंगली रिकार्ड वाली बैटले वर्गीकरण प्रणाली का प्रयोग।
सौ वर्षों के दौरान विकसित इस प्रणाली ने विश्व भर में सनसनीखेज अपराधों में सच्चाई को सामने लाने के लिए जांचकर्ता के अचूक औज़ार के रूप में अपनी क्षमता स्थापित की है। सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ यह प्रणाली, जिसे विशेषज्ञों के हस्त-चालित प्रयासों द्वारा चलाया जाता है, त्वरित प्रतिक्रिया के लिए स्वचालित की जा रही है। साथ ही फिंगर प्रिंट ब्यूरो को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है।
इतिहास
विधि विज्ञान प्रयोगशाला 1983 में इलाहाबाद में स्थापित की गई थी। इस प्रयोगशाला का काम मानव शरीर के माप से संबन्धित प्रणाली के आधार पर अपराधियों की शिनाख्त स्थापित करना था। फिंगर प्रिंट ब्यूरो की स्थापना के बाद श्री ई.आर. हेनरी इसमें सुधार और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए इलाहाबाद आए। 1906 में सीआईडी बनने के पश्चात यह ब्यूरो उसके प्रशासनिक नियंत्रण में चला गया। 1926 में सीआईडी विभाग इस भवन से स्थानांतरित हो कर सचिवालय ब्लॉक नंबर 2 सरोजिनी नायडू मार्ग, इलाहाबाद में चला गया और फिंगर प्रिंट ब्यूरो भी इसी इमारत में स्थापित हो गया। 1993 में फिंगर प्रिंट ब्यूरो लखनऊ स्थानांतरित हो गया।
फिंगर प्रिंट ब्यूरो में निम्नलिखित अनुभाग / इकाइयां काम कर रही हैं :
- 10 उंगली अनुभाग :- इस अनुभाग में दोष सिद्ध व्यक्तियों की दस उँगलियों के निशान की रिकार्ड स्लिप रखी जाती हैं। यह एक महत्वपूर्ण अनुभाग है जो अज्ञात अपराधियों और मृत व्यक्तियों की शिनाख्त करने में मदद करता है जो कि पहले किसी अपराध में सजा पा चुके हैं। साथ ही ऐसे व्यक्तियों का आपराधिक इतिहास भी उपलब्ध कराता है।
- परीक्षण अनुभाग :- अज्ञात संदिग्धों और शवों की उँगलियों के निशान के संभावित सकारात्मक मिलान के लिए फिंगर प्रिंट परीक्षण अनुभाग सक्रिय किया जाता है। ब्यूरो में एफपीएस स्लिप, जिसमें व्यक्ति का असली नाम, वल्दियत, जाति, रिहाइश, और पिछला आपराधिक रिकार्ड जैसी जरूरी जानकारी होती है, उसकी जांच की जाती है।
- उंगली निशान अभिमत अनुभाग :- यह अनुभाग अदालत के समक्ष मामलों में किसी निर्णय पर पहुचने में सहायक होता है।
- फोटो अनुभाग :- यह अनुभाग अदालतों और अपराध स्थल से प्राप्त उंगली के विवादित निशानों के फोटो तैयार करता है जो अदालत को विश्वास दिलाने के लिए गवाही के समय दिखाये / पेश किए जा सकते हैं।
- एकल उंगली ब्यूरो :- भारतीय दंड संहिता की दफा 380 / 454 / 457 / 461 / 379 / 394 / 395 / 396 / 397 / 398 / 399 / 402 के तहत दोष सिद्ध पराधियों के उँगलियों के निशान ये ब्यूरो एकत्र करता है ताकि अपराध स्थल पर मिले उँगलियों के निशान को अभिलेखों में ढूंढा जा सके।
- प्रशिक्षण अनुभाग :- यह अनुभाग जिला पुलिस के हेड कांस्टेबल / कांस्टेबल को निपुणता का प्रशिक्षण देता है ताकि वे अपराधियों के उंगली निशान सफलतापूर्वक ले कर उसे अभिलेखों के लिए ब्यूरो भेज सकें। डीसीआरबी के एसआई और फील्ड इकाइयों के कर्मियों को भी यहाँ प्रशिक्षण दिया जाता है।
- वर्गीकरण अनुभाग :- 1991 में इस ब्यूरो द्वारा उँगलियों के निशान की वर्गीकरण प्रणाली शुरू की गई थी।