Police Bhawan, 6th floor, 4th Tower, near ICANA Stadium, Gomti Nagar Vistar, Lucknow
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इतिहास
उत्तर प्रदेश पुलिस में राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो का क्रमिक विकास समय समय पर होता रहा है। इस ब्यूरो को भारतीय ब्यूरो की सिफारिश पर उत्तर प्रदेश के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) में वर्ष 1906 में स्थापित किया गया था। ब्यूरो को 'अभिलेख अनुभाग’ का नाम दिया गया था और ब्यूरो का काम केवल राज्य स्तर पर अपराध और अपराधी के कार्ड तैयार करना था। वर्ष 1951 में ‘पुलिस मान्यता समिति 1947’ की सिफ़ारिश पर इसको नया नाम 'राज्य अपराध सूचना कार्यालय' दिया गया और जिला स्तर पर 'जिला अपराध अभिलेख अनुभाग' स्थापित किया गया।इसके बावजूद, वर्ष 1960-61 में प्रदेश में उत्तर प्रदेश पुलिस आयोग की सिफारिश के तहत राज्य अपराध सूचना ब्यूरो में अपराधियों के फिंगर प्रिंट और हिस्ट्री शीट के रखरखाव का काम राज्य स्तर पर शुरू किया गया था। फिर जब केंद्र स्तर पर नई दिल्ली में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की स्थापना हुयी तब 1992 में इस ब्यूरो का नाम बदल कर राजी अपराध अभिलेख ब्यूरो यानि स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो कर दिया गया।
उद्देश्य :
- अपराधियों के काम करने का ढंग की समानताओं का अध्ययन और उसके आधार पर जांच कर रहे अधिकारियों को संदिग्धों के नामों का सुझाव देना।
- जांच अधिकारियों को पुराने अपराधों की जानकारी देना जो संभवतः गिरफ्तार व्यक्ति ने किए हों।
- अपराधी की पहचान स्थापित करने में मदद करना और गिरफ्तार व्यक्ति के पूर्ववृत्त, सहयोगियों, छिपने के ठिकाने, पुराने दोषसिद्धि आदि के विश्वसनीय आंकड़े प्रस्तुत करना।
- बरामद की गई संपत्ति के संग चोरी गई संपत्ति का समन्वय करना
- पुलिस अधिकारियों को सतर्क रखने और किसी संदिग्ध / लापता व्यक्ति की तलाश के कार्य में सूचनाओं का प्रसार करना
- अपराधों के सांख्यिकीय आंकड़ों को एकत्र करना, उनका विश्लेषण, अतिरिक्त समीक्षा, आदेश, रिपोर्ट, और सुनिश्चित करना की ये नियमित और नियत समय (पाक्षिक / मासिक / त्रैमासिक / अर्धवार्षिक / वार्षिक) पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक / उत्तर प्रदेश सरकार / नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो / सीईआई को प्रदान की जाएँ।
- विभिन्न प्रकार के आपराधिक आंकड़े और जानकारी एकत्र और समेकित करना तथा इसे वार्षिक पत्रिक ‘भारत में अपराध’ के लिए एनसीआरबी, नई दिल्ली भेजना। राज्य स्तर पर यह ब्यूरो भी विभिन्न प्रकार के आपराधिक आंकड़े और जानकारी एकत्र करके एक वार्षिक पत्रिका ‘यूपी में अपराध’ प्रकाशित करता है।
- उत्तर प्रदेश में जिलों और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) में तैनात पुलिस उप निरीक्षक को एक सप्ताह का प्रशिक्षण देना। यह प्रशिक्षण एक कैलंडर वर्ष में रेंज वार प्रशिक्षण कार्यक्रम बना कर अलग अलग तारीखों में किया जाए।
- अपराधियों के पुनर्वास, उनकी रिमांड, पैरोल, समय से पहले रिहाई आदि कार्यों के लिए दंडात्मक और सुधारक एजेंसियों को आंकड़े की पूर्ति करना।
- डीसीआरबी का मार्गनिर्देशन, उसके संग समन्वय और कामकाज में मदद करना
संगठनात्मक संरचना
डीजी / ए डी जी , तकनीकी सेवाएँ
आईजी तकनीकी सेवा
डी आई जी , तकनीकी सेवाएँ
एस पी एससीआरबी
स्थापना अनुभाग , लेखा अनुभाग , अपराध अनुभाग , शोध इकाई , डीसीआरबी इकाइयां
वर्तमान गतिविधियां :
- प्रदेश के डीजीपी को एफसीआर समय पर भेजी जा रही है
- वाहन चोरी और बरामदगी के मामले कम्प्यूटरीकृत किए जा रहे हैं
- शस्त्र चोरी और बरामदगी के मामले कम्प्यूटरीकृत किए जा रहे हैं
- अज्ञात शवों के फोटो और विवरण वेबसाइट के लिए तकनीकी सेवाओं को उपलब्ध कराये जा रहे हैं
राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो की कार्य प्रणाली
कार्य प्रणाली को आसान बनाने के लिए वर्तमान में निम्न अनुभाग में उप निरीक्षक प्रभारी के रूप में और निरीक्षक की देखरेख में हैं :
एफसीआर अनुभाग |
अपराध अनुभाग |
सांख्यिकी अनुभाग |
गुमशुदा व्यक्ति अनुभाग |
शस्त्र अनुभाग |
मूर्ति चोरी अनुभाग |
डकैती अनुभाग |
सेंधमारी अनुभाग |
संपत्ति अनुभाग |
धोखाधड़ी अनुभाग |
आबकारी अनुभाग |
विस्फोटक अनुभाग |
गज़ट अनुभाग |
जल विद्युत और तांबा तार अनुभाग |
अफरन अनुभाग |
अपराध अभिलेख कार्यालय |
अपराधी व्यक्ति फ़ाइल अनुभाग |
सड़क डकैती अनुभाग |
नकली नोट अनुभाग |
डीसीआरबी प्रशिक्षण अनुभाग |
सदन अनुभाग |
माफिया अनुभाग |
धार्मिक संस्थान अनुभाग |
गैंगस्टर अनुभाग। |
कर्मचारियों की स्थिति : |
1- |
पुलिस उपाधीक्षक |
2 |
2- |
इंस्पेक्टर |
5 |
3- |
सब इंस्पेक्टर |
41 |
4- |
प्रमुख लिपिक |
1 |
5- |
स्टेनोग्राफर |
1 |
6- |
लिपिक (एसआई-एम) |
3 |
7- |
लिपिक (एएसआई एम) |
6 |
8- |
चतुर्थ वर्ग |
4 |